चलो, 2020 अंततः खत्म हुआ। क्या साल था, पूरी जिंदगी याद रहेगा। ऐसा नहीं था कि कोई भारी परेशानी का सामना करना पड़ा हो, किन्तु इस साल ने न सिर्फ जीने का बल्कि जिंदगी को देखने का नजरिया भी बदल दिया।
बारह में से 9 महीने मास्क के पीछे सामाजिक दूरी बनाते हुए कटे । अब सामाजिक प्राणी को जब सामाजिक दूरी बनानी पड़े तो समझिए क्या हाल होता है। वो दोस्त जो हर हफ्ते पार्टी करते थे, अब पार्टी के नाम से कांपने लगते हैं, नेता मित्र घर बैठे बैठे मोटिया गए, दुपहिया में जंग लग गई और बहुत सारा पेट्रोल का खर्चा बचाए। जो छुटभइए मरीज दिखा के पेट पालते थे वो मजदूरों को मुंबई और वडोदरा से घर पहुंचाने में लगे रहे, लेकिन क्रेडिट ओ मुंबइया फिल्म वाला विलेन ले गया। सोशल वर्क करने वाले मित्र घर घर जा राशन बांटते रहे और उनमे से बहुत सारे कोरोना ले कर वापस आए और पूरे परिवार को दिया। यानि कि इस साल ने तो पूरा मिजाज बदल दिया सबके जीने का अंदाज बदल दिया।
किन्तु इस साल का सबसे खराब अनुभव कुछ करीबी लोगों को खोना रहा, इस साल में सबसे ज्यादा कैंसर मरीजों को खोया, कुछ को कोरोना से और कुछ को कोरोना की वजह से। इलाज में देरियाँ हुईं और कई बार तो ऐसा लगा जैसे मुझे छोड़ बाकी किसी को अपने मरीजों की चिंता ही नहीं है, सब घर पर बैठ कर कोरोना से कतराते दिखे, लेकिन कोरोना, वो उन्हे घर जा कर भी पकड़ लाया। दुख हुआ उन चिकित्सकों को खोने का जिन्होंने कोरोना के मरीजों के लिए अपनी जान दाव पर लगा दी। दुख हुआ कि अस्पताल के अधिकारी अच्छी गुणवत्ता के पी पी ई किट तक न खरीद के दे पाए। सबसे ज्यादा दुख ये जान कर हुआ की कोरोना की शुरुवात में पता चला की हम अपने देश में एन 95 मास्क और पी पी ई किट तक नहीं बनाते थे, हैन्ड वॉश की गुणवत्ता की बात करना तो दूर की बात है।
2020 आयुर्वेद के लिए बहुत अच्छा रहा, सबने अपनी इम्यूनिटी बूस्ट की, काढ़े पिए और गिलोए और तुलसी का सेवन किया। आयुर्वेद फर्मासियों ने करोड़ों कमाए, और बाबा पूरे साल छाए रहे। साल भर के अंदर अंदर वैक्सीन बन के तैयार हो गई, एक भारतीय वैक्सीन के बारे में भी सुना लेकिन आज तक ये पता नहीं चला की उसे तैयार किसने किया और उसकी ट्रायल कहाँ हुई। अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों को मानकों को धूल चटाते, ताक पर रखते देखा, और पहली बार ऐसी वैक्सीन देखी जिसके लॉंग ओर शॉर्ट टर्म समस्याएं तो छोड़िए, क्षमता, गुणवत्ता और प्रभाव तक पता नहीं।
कुल मिला के पूरा साल राम भरोसे रहा, और पूरी उम्मीद है की आने वाला साल क्या बाकी का पूरा जीवन राम भरोसे ही कटेगा। जिंदगी में श्री राम एक बार फिर युग पुरुष की तरह अवतरित हुए हैं, और उनके घर उनके मंदिर का सपना पूरा होने का इंतजार है।
2021 तुझसे कोई उम्मीद कोई अपेक्षा नहीं। जो करना हो कर ले।
2 replies on “2020 गया 2021 आया”
छुटभइये मरीज दिखा कर कैसे पेट पालते हैं…मतलब सहयोग करने का पैसा लेते हैं?
2022 भी आया बस आप अब कुछ लिखते नहीं हैं। काफ़ी कुछ अजीब सा हो रहा है, चिंतनीय!